मैकेनिकल इंजीनियर और मैकेनिक के बीच क्या अंतर है?


इसके लिए एक छोटा सा उदाहरण देखते हैं - कार - मरम्मत कराने का
आप की कार में कुछ खराबियां आ गयी हैं और आप उसे ठीक कराने गेराज ले जाते हैं , वहाँ - एक मैकेनिक जांच करता है और 30,000 रुपेये मांगता है . पूछने पर आप की कार में निम्नलिखित खराबियां बता देता है 
  1. कार चढ़ाई पे रुकने सी लगती है - मैकेनिक बताता है - क्लच का प्लेट घिस गया है - खोल के लेथ पे चढ़ाना होगा - लेथ मशीन का मैकेनिक के पास भेजना होगा .
  2. बैटरी का पानी बदलना होगा , प्लेट बदलना होगा - बैटरी मैकेनिक के पास भेजना होगा
  3. बिजली के तार बदलने होंगे , अल्टरनेटर का - ब्रश , टर्मिनल बदलना होगा - वो बिजली मैकेनिक करेगा
  4. फ्यूल पंप का कलिबेरशेन करना होगा - उसके लिए - BOSCH के सर्विस सेंटर भेजना होगा - पंप कलिबेरशेन मैकेनिक काम करेगा
  5. डेंटिंग पेंटिंग का आदमी अलग है , पटी मारने का . एमरी पेपर मरने का मैकेनिक अलग है
तो 6 मैकेनिक तो केवल कार में हो गए - लेकिन इसका मैकेनिकल इंजिनियर एक ही होगा .
तो एक मैकेनिकल इंजिनियर -
  1. मैकेनिकल इंजीनियरिंग के हर क्षेत्र का व्यापक सैद्धान्तिक ज्ञान रखता है
  2. अन्य इंजीनियरिंग विषयक यथा - इलेक्ट्रॉनिक्स , इलेक्ट्रिकल , कंप्यूटर , सिविल , मेटलर्जी इत्यादि का कार्यसाधक ( working knowledge ) ज्ञान रखता है
  3. मैकेनिकल इंजीनियरिंग के कुछ क्षेत्र का नाम मात्र का प्रायोगिक ज्ञान रखता है और अपने हाथ से काम करने का अत्यल्प अनुभव रखता है
जबकि मैकेनिक
  1. किसी एक या दो क्षेत्र का व्यापक प्रायोगिक ज्ञान रखता है और अपने हाथों से काम करने का बहुत अनुभव होता है
  2. इन एक दो क्षेत्रों का भी अत्यल्प सैद्धान्तिक ज्ञान रखता है
  3. अन्य इंजीनियरिंग विषयों का शून्य ज्ञान रखता है
इसका सबसे बढ़िया उदाहरण वेल्डिंग है -
100 % मैकेनिकल इंजीनियर वेल्डिंग के बारे में घंटों बोल सकते हैं
लेकिन 0.01% यानि 10000 में केवल एक मैकेनिकल इंजीनियर -ढंग से वेल्डिंग कर सकते हैं और रेडियो ग्राफिक क्वालिटी वेल्डिंग की बात करें तो शायद लाख में एक .
मैकेनिक एक तरह का कलाकार है - अपने फन का . इसी लिए इन्हें पश्चिम में मास्टर क्राफ्ट्समैंन कहते हैं
ऐसे ऐसे हजारों फनकारों से सही काम लेना मैकेनिकल इंजीनियर का काम है
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 100 से भी ज्यादा तरह के - मैकेनिक हो सकते हैं . जैसे ये २५ देखें , कुछ अजीबो गरीब नाम के फोटो भी हैं
  1. फिटर :
  2. वेल्डर
  3. मसिनिस्ट
  4. हैमर मैंन
  5. मोटर मैकेनिक
  6. पैटर्न मकर
  7. मौल्डर
  8. कुपोला मैन
  9. लदेल मैन
  10. फर्नेस मैकेनिक
  11. कुपोला
  12. कारपेंटर
  13. ट्रिमर
  14. पेंटर
  15. क्लॉक मैकेनिक
  16. जेसटेटनेर मैकेनिक
  17. क्रेन मैकेनिक
  18. गवर्नर मैकेनिक
  19. मिल राइट मैकेनिक
  20. शिप राइट मैकेनिक
  21. अग्नि शामक मैकेनिक
  22. टरबाइन मैकेनिक
  23. बेअरिंग मैकेनिक
  24. पंप मैकेनिक
  25. पाइप मैकेनिक
[1] हैमर मैन
[2] पैटर्न मकर
[3] मौल्डर
[4] लैडल मैन
[5] गवर्नर मैकेनिक
यह सूची तो बहुत लम्बी हो जाएगी .
सारांश यह कि , मैकेनिक अपने फन के माहिर होते हैं - सही मायने में कारीगर . अच्छा मैकेनिकल इंजिनियर बनने के लिए इनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है - ये वो जानते हैं जो कि आप किसी भी इंजीनियरिंग कॉलेज में नहीं पढ़ते हैं .
एक उदाहरण रेल से
ट्रेन के पहियों में टायर नहीं होते हैं - पर यह नहीं समझना चाहिए कि पहियों पर कोई ध्यान देने की जरुरत नहीं होती है . चलते चलते पहिये घिस जाते हैं - तो उन्हें - एक विशेष किस्म के लेथ मशीन पर ला कर मशीनिंग कर के ठीक किया जाता है . ऐसा ही एक मशीन नीचे है [6]
यह मशीन कंप्यूटर से चलती है और इसका तकनीकी नाम है - Computerized numerical Control Surface wheel Lathe
.
पहिये में एक एक मिलीमीटर का और एक एक डिग्री का सही होना जरुरी है . मशीनिंग के बाद हर पहिया को नीचे चित्र के अनुसार नापा जाता है (और भी माप होते हैं )
(स्रोत : CAMTECH /INDIAN RAILWAYS )
पर कंप्यूटर तो मशीनों में मुश्किल से 40 साल पहले आया , पर ट्रेन तो १५० सालों से चल रही है !!!!!!!!!! है कि नहीं ????
तो कंप्यूटर के पहले - रेल के पहिये की मशीनिंग - मैकेनिक कैसे करता था ???
हुनर !!!!!!!!!!!!!!!!!! जिसकी बदौलत - विश्व भर में लोग सुरक्षित सफ़र करते रहे हैं .
धन्यवाद दोस्तों 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺



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