ट्रेड वार काफी समय से चलता रहा है प्राचीन समय मे रोम और भारत मे भी यही होता था जब रोम को भारी ट्रेड डेफिसिट झेलना पड़ता था भारत से और भारत भारी मात्रा में रोम से सोना आयात करता था ।इस सबंध में रोम के राजा का पत्र की पांडुलिपि विकिपीडिया पर उपलब्ध है और वर्तमान में हालके वर्षों में इसने काफी ज्यादा देशों का ध्यान अपनी और आकर्षित किया है। ट्रेड वार आधुनिक युग का वो हथियार है जो दुनिया के बेहद मजबूत देश इस्तेमाल में ला रहे हैं ताकि एक सुपर पावर बन सकें।
- यह हर जगह है आप जहां भी देखें। आप के आस पास अभी भी देखो तो 90% चीजें पर किसी ना किसी देश का लोगो है और मुख्यता Made in China का लोगो तो बेहद आम हो गया है। आप इसी से समझ सकते हैं कि कितना अधिक सक्रिय हैं यह ट्रेड।
- यह कितना मजबूत और असरदार है कि भविष्य में ऐसा देश अपने हिसाब से अन्य देशों की इकोनॉमी को manipulate करने के लिए इस्तेमाल में ला सकता है और यह एक बेहद कारगर ट्रिक है।
- अमेरिका और चाइना के बीच चल रहे इस वार में अगर कोई अच्छी स्थिति में है[1] तो चाइना को ज्यादा फायदा नंबर एक पर पहुंचन से आने वाले समय में होने वाला है। आप निचे दिए मानकों से समझ सकते हैं 👇👇👇👇👇
- हाल के दिनों में भी जब कोविड-19 का असर पूरी दुनिया की इकानोमी पर देखा जा रहा है अब इसी का फायदा उठाते हुए चाइना ने अपने कच्चे तेल के रणनीतिक भंडारों में अच्छा खासा इजाफा किया है और दुनिया का सबसे अधिक कच्चे तेल वाले स्ट्रेटजिक रिजरवायर के देश के रूप में उभरा है। यह उन मानकों पर भी खरा नहीं उतरता है जिसके मुताबिक एक देश में कितना कच्चे तेल का रिजर्वायर होना चाहिए। चाइना हमेशा से इस तरह की कुटनीति अपनाता आया है।
- अमेरिका दुनिया की सबसे मजबूत इकोनॉमी के रूप में $22.32 trillion का आंकड़ा 2020 में देख रहा और वहीं
- चाइना इस समय दुनिया के दूसरे सबसे बड़े़ मजबूत इकोनॉमी वाले देश की भुमिका में है और GDP (PPP) $36.99 trillion के आंकड़े को 2023 में देख रहा है [2] इसके अलावा यह दुनिया का सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरर इकोनामीें है के साथ-साथ सामान निर्यात करने वाला देश भी है।
- 1978 के लगभग पहली बार चाइना ने अपने आप को ट्रेड मार्किट में लाया इसके आने वाले सालों में इसकी स्थिति अच्छी और मजबूत होती गई एक समय में अमेरिका के लिए सबसे अधिक वस्तुएं निर्यात करने वाला देश था और यह अभी भी एक बहुत बड़ा हिस्सा रखता है।
- यह वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन में एक मजबूत स्थिति में है जबकि इसने 2001 में इसमें कदम रखा।
- विदेशी ट्रेड मार्केट में बहुत ज्यादा दबदबे का सपना चाइना ने हमेशा से देखा है। अगर आप कुछ वर्षों में चाइना के जीडीपी में आए बदलाव को देखेंगे तो आप आसानी से समझ पाएंगे कि यह कितने तेजी से बढ़ रही है 👇👇👇👇👇
- अमेरिका हमेशा से ही सबसे मजबूत इकोनॉमी में खुद को सबसे ऊपर देखना चाहता है। इसके के चलते ही अमेरिका ने टैरिफ़् को बढ़ाया ... ताकि अपने देश में बन रहे सामान को ज्यादा प्राथमिकता मिले और देश की प्रोफाइल इकनॉमिक मार्किट में बढ़े। अगर चाइना की बात करें तो यह भी केवल अपने देश की वस्तुओं को बनाने वाले अपने देश की कम्पनियों के ही हक में रहता है हमेशा से और अपने सामान को अधिक कम कीमतों पर भेजकर यह बहुत सारी नीतियों को हमेशा से ताक पर रखता आया है।
टैरिफ़् क्या है:-
- यह वो टैक्स है जो किसी देश को अपना सामान किसी अन्य देश में बेचने के लिए चुकाना होता है अगर वो देश ऐसा कानून लगता है तो।
- हाल के बहुत सारे देशों ने खास ˈटैरिफ़् कानून बनाए और लागू किये है ताकि अपने देश की इकोनॉमी को ज्यादा फायदा हो सकें लेकिन इसका नुकसान सिर्फ उपभोक्ताओं पर ही नहीं अन्य देशों पर भी हो रहा है।
ˈटैरिफ़् को समझें:-
- अगर आप अपने देश में आम उगाते हैं और एक अन्य देश भी आपके देश में… अपने देश के उगे आमों को बेचना चाहता है तो आप ऐसा क्यों चाहेंगे? इस से देश को क्या फायदे हैं
- ☑️तो यह डिप्लोमेटिक रिलेशनशिप का एक तरीका है
- ☑️इसे मार्किट में कम्पिटीशन रहेगा,
- ☑️कुछ देश रेबिन्यू के लिए भी ऐसा करते हैं,
- ☑️इकोनॉमी पर बेहतर असर देखने को मिलता है
- ☑️बड़ी-बड़ी आर्गनाइजेशन के किसी निर्णय में वो देश आपके साथ क्यों खड़ा होगा तो इस तरह का ट्रेड आपको एक मजबूत पकड़ उस समय निर्णय पर भी देता है और भी अन्य फायदे हैं अगर कोई देश ऐसा ट्रेड करेगा तो ...
लेकिन जब आपका देश इसी वजह से पिटने लगें जैसे आप के
- ✅स्वदेशी चीजों की खपत ना होना ,
- ✅ देश का हर सामान के लिए किसी अन्य देश पर अधिक निर्भर हो जाना,
- ✅देश में किसी अन्य करार से बन रहे उस देश की कम्पनियां,
- ✅मुद्रा बाजार में अन्य देशों का अच्छा खासा हिस्सा आप के देश में होना आदि।
आप कोई कदम उठते हैं या कुछ भी करे तो यह एक ट्रेड वार का हिस्सा माना जाता है क्योंकि या तो आप ˈटैरिफ़् बढ़ाएंगे या ट्रेड का सारा करार खत्म कर देंगे या कोई नया करार करेंगे तो
- बस यही कश्मकश हाल में इन देशों में देखने को मिला रही है। जहां अमेरिका ने ˈटैरिफ़् कानून को चाइना के लिए बीतेे समय में बढ़ाया और इसके बदले चाइना[3] ने भी ऐसा ही किया आप इस तस्वीर में देख सकते हैं 👇👇👇👇👇
कि पहले 10% और फिर यह 25% का इजाफा किया गया दोनों देशों के टैरिफ़ में और अब यह इसे बढ़ाने का भी सोच रहे हैं।
अब जब आप यह सब समझ चुके हैं तो अब बात करते हैं
दुनिया पर असर
- सबसे पहले तो दुनिया की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से पिटने वाली है इस वजह से क्योंकि दुनिया के सबसे मजबूत दो अर्थव्यवस्था वाले देश इसमें अपना वर्चस्व दिखाने दिखाने के लिए अग्रसर है।
- इस वजह से वो देश जिनकी अर्थव्यवस्था ज्यादा मजबूत नहीं है उन देशों को काफी मंदी का सामना करना पड़ सकता है[4] क्योंकि टैरिफ़ कानूनों में बहुत सारे बदलाव किए जाते हैं जिसका सीधा असर इन देशों पर पड़ता है।
- दुनिया भर में इस वजह से मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर सबसे ज्यादा असर देखने को मिलेगा।
- सामान की कीमतों में भारी उछाल इस वजह से उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेंगे गा।
- यह मार्केट की लिक्विडिटी पर भी असर डालता है।
- दुनिया भर की जीडीपी को गिराने में इसका बहुत बड़ा योगदान हो सकता है जिसे की दुनिया भर की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी।
- कुछ देशों में खपत के अनुसार समान नहीं बना पा रहे इससे नुकसान में रहे सकते हैं इत्यादि।
अब इन दोनों देशों ने एक करार जनवरी माह में किया है टैरिफ़ कानूनों को लेकर लेकिन यह शुरुआती दौर में है तो आने वाले समय में यह ट्रेड वार क्या दिलचस्प मोड़ लेगी यह देखना भी रोचक रहेगा।
अगर आप इससे संबंधित कुछ और सर्च या जानकारी जोड़ना चाहते हैं तो आपका स्वागत है 🤗
अपना कीमती समय देकर हमारा यह पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺☝️